अटल भुजल योजना आज 7 मई 2024 को विद्यालय में कृषि विभाग से आए विशेषज्ञ एवं विद्यालय प्रधानाचार्य श्री ओमप्रकाश तथा उप प्रधानाचार्य श्री विक्रमजीत सिंह के द्वारा विद्यार्थियों को अटल भूजल योजना के बारे में बताया गया तथा विद्यार्थियों को यह भी बताया गया कि किस तरह से भूमिगत जल को संरक्षित किया जा सकता है। भूगोल प्राध्यापक डा. चंद्रपाल तथा भौतिक प्राध्यापक श्री अजय कुमार ने अलग-अलग व्याख्यान तथा अनुभव के द्वारा विद्यार्थियों को जल की उपलब्धता एवं जल के संरक्षण के संबंध में संदेश दिए गए। कक्षा नवमी के छात्र जीवेश एवं सोनम को विद्यालय तथा नजदीकी क्षेत्र में जागरूकता फैलाने के लिए चुना गया।अटल भुजल के संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारियांअअटल भूजल योजना (अटल जल) समुदाय आधारित सतत भूजल प्रबंधन के लिए एक केंद्रीय योजना है । इसकी कुल लागत 6,000 करोड़ रुपए है जिसमें से, 3,000 करोड़ रुपये विश्व बैंक से ऋण के रूप में और 3,000 करोड़ रुपये भारत सरकार के योगदान के रूप में होंगे।यह योजना देश के सात राज्यों में चिह्नित जल संकट क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन के लिए सामुदायिक भागीदारी और मांग संबंधी उपायो के आधार पर कार्य करती है। इस योजना में जल जीवन मिशन के लिए बेहतर स्रोत स्थिरता, ‘किसान की आय दोगुनी करने’ के सरकार के लक्ष्य में सकारात्मक योगदान और इष्टतम जल उपयोग की सुविधा के लिए समुदाय में व्यवहार परिवर्तन को शामिल करने की भी परिकल्पना की गई है।अटल जल, भागीदारी भूजल प्रबंधन के लिए संथागत ढाचों को सुढृढ़ करने और सतत भूजल प्रबंधन के लिए समुदाय स्तर पर वयवहारात्मक परिवर्तन लाने के मूल उद्देश्य से तैयार की गई है । इस स्कीम में जागरूकता कार्यक्रम, क्षमता निर्माण, स्कीमों का आमेलन तथा बेहतर कृषि पद्धिति इत्यादि शामिल करके कार्य किया जा रहा है ।इस योजना के द्वारा राज्यों को अनुदान सहायता के रूप में धन उपलब्ध कराया जा रहा है । विश्व बैंक का वित्तपोषण एक नए ऋण साधन के तहत किया गया है — परिणाम के लिए कार्यक्रम (PforR), जिसमें योजना के तहत धनराशि विश्व बैंक से भारत सरकार को पूर्व-सहमत परिणामों की उपलब्धि के आधार पर भाग लेने वाले राज्यों को संवितरण के लिए वितरित की जाएगी।यह योजना हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की 8213 जल संकटग्रस्त ग्राम पंचायतों में लागू की गई है । योजना के कार्यान्वयन के लिए चिन्हित क्षेत्र का विवरण नीचे दिया गया है;इस योजना के दो घटक हैं, अर्थात।संस्थागत सुदृढ़ीकरण और क्षमता निर्माण घटक (1400 करोड़ रुपये) — प्रतिभागी राज्यों में भूजल के समुचित प्रबंधन के लिए मजबूत डेटा बेस, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामुदायिक भागीदारी की सुविधा के द्वारा संस्थागत व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ताकि वे अपने संसाधनों का स्थायी रूप से प्रबंधन कर सकें।प्रोत्साहन घटक (4,600 करोड़ रुपये) — केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न चल रही योजनाओं के बीच सामुदायिक भागीदारी, मांग प्रबंधन और अभिसरण पर जोर देने और भूजल व्यवस्था में परिणामी सुधार के साथ पूर्व-निर्धारित परिणामों की उपलब्धि के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए ।डिस्बर्समंट लिंकड इन्डीकेटर (डिलिइ) — वितरण से जुड़े संकेतक के आधार पर प्रोत्साहन राशि का वितरण किया जाएगा। निम्नलखित पांच डीएलआई है:-भूजल डेटा/सूचना और रिपोर्ट का सार्वजनिक प्रसार (प्रोत्साहन निधि का 10%),समुदाय के सहयोग से जल सुरक्षा योजनाओं को तैयार करना (प्रोत्साहन निधि का 15%)केन्द्र और राज्यों की विभिन्न स्कीमो के अन्तर्गत जल सुरक्षा योजनाओं का क्रियान्वन (प्रोत्साहन निधि का 20%)कुशल जल उपयोग के लिए प्रथाओं को अपनाना (प्रोत्साहन निधि का 40%)भूजल स्तर में गिरावट की दर में सुधार (प्रोत्साहन निधि का 15%)बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्य/क्षेत्र अतिरिक्त धनराशि के लिए पात्र होंगे।***अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट पर जाएँ, (https://ataljal.mowr.gov.in/Home/hi)कौन कौन है- देखने के लिए क्लिक करें